प्रत्येकगोत्र के अलग- अलग भेरुजी होते हैं। जिनकी स्थापना उनके पूर्वजों द्वाराकभी किसी सुविधाजनक स्थान पर की गयी थी। स्थान का चयन पवित्र स्थान के रुपमें अधिकांश नदी के किनारे, बावड़ी में, कुआं किनारे, टेकरी या पहाड़ी परकिया गया। प्रत्येक परिवार अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित भेरुजी की वर्षमें कम से कम एक बार वैशाख मास की पूर्णिमा को सपरिवार पूजा करता है।मांगलिक अवसरों पर भी भेरुजी को बुलावा परिणय पाती के रुप में भेजा जाताहै, उनकी पूजा अर्चना करना आवश्यक समझा जाता है। भेरुजी के पूजन पर मालवाकी खास प्रसादी दाल-बाफले, लड्डू का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किया जाता है।भेरुजी को भगवान शंकर का अंशावतार माना जाता है यह शंकरजी का रुद्रावतारहै इन्हें कुलदेवता भी कहा जाता है। जांगडा पोरवाल समाज की कुलदेवीअम्बिकाजी (महाशक्ति दुर्गा) को माना जाता है।
श्री जांगडा पोरवाल समाज के 24 गोत्रों के भेरुजी स्थान
- १. मांदलिया- अचारिया – कचारिया (आलोट-ताल के पास)
कराड़िया (तहसील आलोट)
रुनिजा
पीपल बाग, मेलखेड़ा
बरसी-करसी, मंडावल - २. सेठिया- आवर – पगारिया (झालावाड़)
नाहरगढ़
घसोई जंगल में
विक्रमपुर (विक्रमगढ़ आलोट)
चारभुजा मंदिर दलावदा (सीतामऊ लदूना रोड) - ३. काला- रतनजी बाग नाहरगढ़
पचांयत भवन, खड़ावदा
बड़ावदा (खाचरौद) - ४. मुजावदिया- जमुनियाशंकर (गुंदी आलोट)
कराड़िया (आलोट)
मेलखेड़ा
रामपुरा
अचारिया, कचारिया, मंडावल - ५. चौधरी – खड़ावदा, गरोठ
रामपुरा, ताल के पास
डराड़े-बराड़े (खात्याखेड़ी)
आवर पगारिया (झालावाड़) - ६. मेहता- गरोठ बावड़ी में, रुनिजा
- ७. धनोतिया- घसोई जंगल में
कबीर बाड़ी रामपुरा
ताल बसई
खेजड़िया - ८. संघवी- खड़ावदा (पंचायत भवन)
- ९. दानगढ़- आवरा (चंदवासा के पास)
बुच बेचला (रामपुरा) - १०. घाटिया- लदूना रोड़ सीतामऊ
- ११. मुन्या- गरोठ बावड़ी में
- १२. घरिया- बरसी-करसी (महिदपुर रोड़)
मंडावल (आलोट) - १३. रत्नावत – पंचपहाड़, भैसोदामंडी
सावन (भादवामाता रोड)
बरखेड़ा पंथ - १४. फ़रक्या- पड़दा (मनासा रोड)
बरखेड़ा गंगासा (खड़ावदा रोड)
घसोई जंगल में
बड़ागांव (नागदा) - १५. वेद- जन्नोद (रामपुरा के पास)
साठखेड़ा - १६. खर्ड़िया- जन्नोद (रामपुरा के पास)
- १७. मण्डवारिया- कबीर बाड़ी रामपुरा
तालाब के किनारे पावटी
दोवरे-पैवर (संजीत) - १८. उदिया- जन्नोद (रामपुरा के पास)
- १९. कामरिया- मंडावल (तह. आलोट)
जन्नोद (रामपुरा के पास) - २०. डबकरा- अराडे-बराडे (खात्याखेड़ी, सुवासरा रोड)
सावन, चंदवासा, रुनिजा - २१. भैसोटा- बरसी-करती (महिदपुर रोड के पास)
मंडावल (तह. आलोट) - २२. भूत- गरोठ बावड़ी में
रुनिजा – घसोई - २३. नभेपुरिया – वानियाखेड़ी, (खड़ावदा के पास)
- २४. श्रीखंडिया- इन्दौर सेठजी का बाग
श्री जांगडा पोरवाल समाज में प्रचलित उपाधियाँ (पदवियाँ)
पदवी – वास्तविक गोत्र
समाज के प्रति हमारा उत्तरदायित्व
हमजो कुछ भी हैं और जो कुछ भी आगे बनेंगे वह समाज के कारण ही बनेंगे। हमारेये विद्यालय और जीवन की व्यावहारिक शिक्षा समाज के कारण ही हमें प्राप्तहैं। इसलिये हमें धर्म पालना चाहिए अर्थात् अपने कर्त्तव्यों का पालन करनाचाहिए। समाज के हम पर तीन ॠण माने गये हैं-
अतः परिवार, समाज और देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों के पालन से ही इन ॠणों से मुक्त हो सकते हैं।
सन्दर्भ ग्रन्थ – पोरवाल समाज का इतिहास